बुधवार, 11 मई 2011
मजेदार 'लव का द एंड"
फिल्म : लव का द एंड
कलाकार : श्रद्धा कपूर, ताहा शाह, श्रीजीता डे, पुश्ती
निर्देशक : बम्पी
अब वे दिन नहीं रहे, जब लड़के द्वारा धोखा खाने के बाद लड़की रोती-बिसूरती रहती थी। अब समय बदल गया है। अब की लड़की धोखा खाने के बाद अलग तरह से सोचती है। अब वह टेसुए बहाने की बजाय अगला कदम उठाती है। वह बेचारी नहीं है। इस फिल्म की 18 साल की लड़की को जब पता चलता है कि उसका ब्वॉयफ्रेंड उसे धोखा दे रहा है तो वह उसे मजा चखाने की सोचती है। लेकिन यह भी मत सोचिए कि फिल्म "खून भरी मांग' टाइप की होगी। नहीं, इस फिल्म में बदले की भावना को बड़े ही मजेदार ढंग से पेश किया गया है। इसे आप युवाओं के लिए रोलर-कोस्टर राइड कह सकते हैं या चिक-फ्लिक सिनेमा भी।
इस फिल्म को देखते हुए "जॉन टकर मस्ट डाई' और "मीन गर्ल्स ' की याद जरूर आएगी। फिर भी "लव का द एंड' दो घंटों में आपको ऐसे फनी मोमेंट्स तक ले जाएगी कि आप हंसे बिना नहीं रह पाएंगे। इसे युवा तो बहुत मजेदार पाएंगे। बड़े भी इसका लुत्फ उठा सकते हैं, यदि वे 20 साल की स्टेज पर पहुंच जाएं। पहली बार निर्देशन कर रहे बम्पी ने इस टीन एज फिल्म में सब कुछ डाला है, जिसे युवा पसंद करते हैं। हॉट गर्ल, हॉटेस्ट बैचलर, सीधी-सादी बहनजी, जिम का चस्का, स्मार्ट फ्रेंड्स, चमचा, पढ़ाकू, चालू बच्ची जैसे किरदार इस फिल्म में हैं। ये ऐसे कैरेक्टर्स हैं, जो आपको अपने आस-पास बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। ये कहीं भी हो सकते हैं- आपके कॉलेज में, आपकी बहन के फ्रेंड सर्कल में, आपकी पड़ोसी के घर में। फिल्म बहुत लाइट फील के साथ बनाई गई है और इतनी ही लाइट लेकिन गुदगुदा अहसास देती है। भाषा से लेकर बॉडी लैंग्वेज, सब आज के युवाओं की है। प्यार के साथ ही सेक्स को लेकर उनकी क्या सोच है, यह सब फिल्म में बहुत आसानी से दिखाया गया है।
सीधी-सादी रिया (श्रद्धा कपूर) को कॉलेज के हॉटेस्ट बैचरल लव नंदा (ताहा शाह) से प्यार है। अपने 18वें जन्मदिन पर वे अपनी रिलेशनशिप को अगले पड़ाव तक ले जाना चाहते हैं। तभी उसे पता चलता है कि लव का यह प्यार वैसा नहीं है, जैसा उसने सोचा था। वह उसके खास प्लान का हिस्सा भर है। रिया उसके प्यार में आंसू बहाने की बजाय उसके छक्के छुड़ाना चाहती है, वह भी एक रात में ही। उसकी सहेलियां सोनिया और जग्स हर कदम पर उसकी मदद करते हैं। पहली बार निर्देशन कर रहे बम्पी ने हर पल को बखूबी हैंडल किया है। फिल्म का संगीत मूड के अनुसार ही हिप-हॉप है। टाइटल ट्रैक "लव का द एंड' और "टूनाइट' गीत पेप्पी है। 'मटन" गीत भी पसंद आ रहा है, इसने आयटम सॉन्ग की परिभाषा ही बदल दी है। इसे राम संपत ने बखूबी कंपोज किया है।
श्रद्धा की पहली फिल्म भले ही नहीं चली लेकिन इस फिल्म में वह आत्मविश्वास से लबरेज हैं। ताहा ने लव नंदा के रोल को बखूबी निभाया है। सोनिया और जग्स का रोल नीजीता और पुश्ती ने बहुत अच्छे से निभाया है। दादी और मिंटी (जन्नत जुबैर रहमानी) ना भी होते तो कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। अली जाफर का गेस्ट अपियरेंस है, फिल्म के अंत में गाया उनका गीत युवाओं को अच्छा लगेगा। यह फिल्म पूरी तरह से जेन-एक्स के लिए है।
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यह फिल्म जेन एक्स के लिए ही है. कहानी जब आइसक्रिम की तरह लगे तो समझ लीजिए उसकी पहुंच एक खास सेक्शन तक ही होगी। अच्छा लगा रिव्यू पढ़कर।
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