सोमवार, 9 मई 2011

दादागीरी करेंगे विकास अरोड़ा


पुरुष बनाम महिला की श्रेष्ठता के सदियों प्राचीन विषय को "दादागीरी-4 रीवेंज ऑफ सेक्सेज' में हजारों लोगों का ऑडिशन हुआ, 14 लोग चयनित किये गये और 3 प्रत्याशी फाइनल जीतने के लिये शीर्ष पर पहुंचे। लिंगों के इस मुकाबले में विकास अरोड़ा अपने साथी दिल्लीवासियों नियति हान्डा और पूर्णिमा चौधरी को हरा कर निर्विवाद विजेता बने।
इन लड़कियों और लड़कों ने कठोर मुकाबले में सिर्फ दादाओं द्वारा रखी गयी चुनौतियों का मुकाबला किया, बल्कि प्रतिपक्षियों के आवेगों को भी सहन किया। दोनो टीमों ने अनेक टास्क्स में एक दूसरे से सफलतापूर्वक मुकाबला किया, जिसमें प्रतिभागियों की सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्फूर्ति तथा तीव्रता की परख भी की गयी।
अपनी विजय पर टिप्पणी करते हुये विकास अरोड़ा ने कहा कि, "कहीं कहीं मुझे खुद पर विश्वास था और मैं यह जानता था कि मैं जीत जाऊंगा क्योंकि मैं इसके योग्य था। मेरे समर्पण भाव ने मुझे जीतने की ऊर्जा प्रदान की। आज मुझे मेरे मम्मी-पापा को विकास के माता-पिता के रूप में जानने लगे हैं।' फाइनल के टास्क को आग के एक त्रिभुजाकार आकार में तैयार किया गया था, जो तीन भागों में बंटा था। फाइनलिस्टों को "गनी सैक' में रखा गया। पहले चरण में उन्हें छोटा चाकू दिया गया जिसे उन्हें "गनी सैक' को हटाने के लिये इस्तेमाल करना था। इसके बाद वे अगले चरण में कूद पड़े, जिसमें एक कटोरा बाल और चीज़ क्यूब्स शामिल थे। उन्हें आगे रखे लॉक्ड चेस्ट की चाबी का पता लगाने के लिये इन क्यूब्स को खाना पड़ा। इस चेस्ट में विजेता का घोषणा-पत्र रखा हुआ था।
इस ग्रैंड फिनाले के अवसर पर बोलते हुए यूटीवी बिन्दास के बिजनेस प्रमुख कीथ अल्फान्सो ने कहा कि, "यह सत्र दादागीरी के लिए भिन्न परिकल्पना के समान था। इसने हमारे शो दादागीरी के इस सत्र को सफल स्वरूप प्रदान किया। हम शीघ्र ही सत्र 5 के साथ वापस आयेंगे और इस बार की चुनौती और अधिक दिलचस्प परिकल्पना से लवरेज होगी।' 10 लाख रुपये की पुरस्कार राशि से सुसज्जित विकास बेहद खुश हैं। विकास अपनी पढ़ाई के साथ ही मॉडलिंग को अपना करियर बनाना चाहते हैं।

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