गुरुवार, 2 जून 2011

शोभा सोमनाथ की



भारत के अग्रणी मनोरंजन चैनल जी टीवी पर प्रसारित अत्यधिक लोकप्रिय प्राइमटाइम शो झांसी की रानी की अभूतपूर्व सफलता के बाद अपनी परम्परा को बरकरार रखते हुए जी टीवी दर्शकों के लिए भारत के गौरवशाली इतिहास की सर्वाधिक प्रभावपूर्ण कहानियों को प्रस्तुत करने जा रहा है । भडूच की पृष्ठभूमि में गुम हो चुके इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय को दोबारा खोलते हुए तथा गुजरात में माताओं द्वारा अपनी बेटियों को किवदंती के रूप में सुनाई जाने वाली कथा को जी टीवी शोभा सोमनाथ की के रूप में आपके सामने लाया है । यह एक ऐसा ऐतिहासिक ड्रामा है जो भारत की अकीर्तित नायिका शोभा की अनुकरणीय गाथा कहता है। शोभा मातृभूमि की ऐसी दीवानी थी , जिसने मुगल आक्रामक मोहम्मद गजनी के हमलों के सामने दृढतापूर्वक खडे रहकर उसका प्रतिकार किया । न तो वह महान तलवारबाज थी और न ही उसे गुरिल्लायुद्ध कला में महारथ ही हासिल थी लेकिन उसके पास 2 लाख जॉबांज लडाकूओं की ऐसी सेना थी जो कूर होने के साथ साथ चतुर भी थे। अपने ब्राण्ड को नया स्वरूप देने की प्रक्रिया में जी टीवी ने तरोताजा और दमदमाते क्रायक्रमों की श्रृखला में सोमवार 20 जून से रात आठ बजे शोभा सोमनाथ की का प्रसारण आरंभ किया जा रहा है।
प्रसव पीडा से दम तोडने वाली मॉं की कोख से जन्मी शोभा अपने बचपन में पैतृक प्रेम से भी वंचित थी खासकर उसके पिता उससे यह सोचकर नफरत करते थे कि उसकी मॉ की मौत की वह ही जिम्मेदार है। लेकिन असीम आशा और आत्मविश्वास से भरपूर चमकती आँखों वाली शोभा आसानी से मैदान छोडने वाली नहीं थी । उसकी कहानी आगे बढती है और वह अपने निकट परिजनों खासकर भडूच के महाराजा दद्दाचालुक्य और उनकी सुन्दर पत्नी महारानी देवी से प्रेम, जीवन , साहस तथा त्याग के पाठ सीखती है। अपनी चचेरी बहन चौला के साथ उसके सबंध की खूबसूरती दो लडकियों के प्रेम की अनुकरणीय दास्तान कहती है और इन सभी के प्रेम से शोभा अपने समय की पताका लहराने वाली नायिका बनकर उभरती है। मोहम्मद गजनवी के हाथों अपनी प्यारी मातृभूमि को बचाने के लिए उसके द्वारा बनाई गई चातुर्यपूर्ण योजना नर्मदा तट पर रहने वाली पीढियों को सदियों तक याद रहेगी ।
9 एकड में फैले प्लाट पर शोभा सोमनाथ की के भव्य सेट देखने काबिल है। इसे भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए 500 से अधिक कुशल कारीगर पिछले डेढ साल से रात दिन पसीना बहा रहे थे और जब भारत के प्राचीन सोमनाथ मंदिर का मूल स्वरूप सेट पर निर्मित हुआ तो लगा भारत का गौरवशाली इतिहास एक बार फिर सजीव हो उठा । शानदार महल, दोबारा निर्मित पृष्ठभूमि का सौदर्य और एक एक छोटी परम्परागत वस्तुएं देखकर ऐसा लगता है कि दर्शक टाइम मशीन पर सवार होकर 11 वीं सदी के भडूच में पहुँच गए है। इस बारे में जी टीवी के हेड फिक्शन प्रोग्रामिंग सुकेश मोटवाणी ने कहा कि '' छोटी सी छोटी बातों को घ्यान मे रखकर हमने जरूरत से ज्यादा पसीना बहाया है ताकि हम गुजरात के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित कर सकें । सेट, कास्टयूम, जूलरी , संवाद , उच्चारण , परम्परा तथा रीति रिवाजों पर एक साल के गहन अनुसंधान ने 10 सदी पहले के भडूच और पाटन की राजसी जीवनशैली को सही रूप से पुनर्निर्मित किया है । इस शो को रेड एचडी कैमरे के साथ पोस्ट मार्डन प्रोडक्शन टेक्निक और अति आधुनिक प्रोद्योगिकी की मदद से फिल्माया जाएगा जिससे इसकी भव्यता देखते ही बनेगी ।''

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