अभिनेता के के रैना ने करीब २२ साल पहले दूरदर्शन पर लोकप्रिय जासूसी सीरीज व्योमकेश बक्षी में अभिनय किया था अब एक बार फिर से के के रैना ११ मार्च से हर रविवार सुबह १० बजे से प्रसारित हो रहे चिन्मय मिशन के धारावाहिक ‘उपनिषद गंगा’ में दिखाई दे रहे हैं .चाणक्य फेम डॉ चंद्रप्रकाश दिव्वेदी द्वारा निर्देशित इस सीरियल में के के रैना ने चाणक्य, हरिदास, नारद व याज्ञवल्क्य के चरित्रों को निभाया है. टी वी धारावाहिकों के साथ-साथ रैना ने फिल्मों में भी अभिनय किया है जैसे तनु वेड्स मनु, रंग दे बसंती, दिल्ली -६, हाइजैक, फूंक, लक्ष्य, सलाम ए ईश्क और गाँधी. के के रैना अभिनय के साथ संवाद लेखन भी करते हैं.
· आपने कौन - कौन सी भूमिकाएं अभिनीत की है धारावाहिक “उपनिषद गंगा” में और कितना मुश्किल रहा इन्हें अभिनीत करना?
मैंने हरिदास, नारद, याज्ञवल्क्य और चाणक्य के चरित्रों को अभिनीत किया है मुश्किल तो नही रहा करना लेकिन मज़ा बहुत आया इन सभी चरित्रों को अभिनीत करने में. ‘चाणक्य’ को करना चुनौतीपूर्णजरुर रहा क्योंकि चाणक्य को पहले डॉ साहब ने खुद किया था. इसके अलावा एक उत्तर भारतीय संत के चरित्र को अभिनित करना भी बहुत ही यादगार रहा, जो कि दक्षिण में जाता है लेकिन उसे वहाँ की भाषा नही आती उसे बस एक शब्द ‘पर्विल्ला’ आता है जब कोई उससे कुछ भी पूछता है उसका जवाब होता है ‘पर्विल्ला’ मतलब सब ठीक है. इस चरित्र को मैंने शारीरिक हाव भाव के माध्यम से अभिनीत किया है.
· जब आपने टी वी पर काम करना छोड़ ही दिया था तब क्या वजह रही चिन्मय मिशन के ‘उपनिषद गंगा’ में काम करने की ?
मैंने टी वी पर आखिरी काम किया था ‘व्योमकेश बक्षी’ में. मुझे डॉ साहब ने बुलाया और कहा कि मैं ‘उपनिषद गंगा’ करना चाहता हूँ और चाहता हूँ कि आप भी इसमें काम करें मैंने कहा कि मैं तो टी वी अब करता नही उन्होंने मुझे ४ स्किप्ट दी और कहा कि पढ़ो अच्छा लगे तो करना. मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी मुझे बहुत ही अच्छी लगी, जिस तरह से डॉ साहब थियेटर और सिनेमा दोनों को एक साथ लेकर काम करना चाहते थे वो बहुत ही काबिलेतारीफ था. इसके अलावा मैंने सोचा कि इसमें काम करके मैं भी कुछ जान व समझ सकता हूँ कि क्या हमारे ऋषि मुनियों ने इसमें कहा है. हम सब कहते हैं कि वेदों में उपनिषदों में यह कहा गया वो कहा गया है जबकि हममें से अधिकतर को नही पता कि सच में क्या कहा गया है.
क्या युवाओं को पसंद आयेगा ‘उपनिषद गंगा’ ?
हाँ जरुर क्योंकि उपनिषद में भी वो ही सब लिखा गया है जो कि आज के समाज की समस्या है जैसे शिक्षा का अधिकार सभी को है ऐसे ही पुराने समय में णक्य ने भी यही कहा कि शिक्षा सभी के लिए जरुरी है. जबकि लोग कहते हैं कि ब्राह्मणों ने शिक्षा को केवल अपने तक ही सीमित रखा था. किसी भी दूसरी जाति को शिक्षा हासिल नही करने देते थे. इसके अलावा अपने अतीत को भी हम ‘उपनिषद गंगा’ के माध्यम से जान सकते हैं. किसी लेखक ने भी कहा है कि “जब तक हम अपने अतीत को नही जानते तो जिंदगी भर आप एक बच्चा ही बने रहते हैं”. युवाओं को पता चलेगा कि आखिर उपनिषद में ऐसा क्या है जिसके बारे में हम सभी बातें करते है.
· आपने ‘चाणक्य’ के चरित्र को अभिनीत किया है तो क्या किसी तरह का कोई दवाब रहा आप पर क्योंकि डॉ साहब ने भी इसे अभिनीत किया था और वही इसे निर्देशित कर रहे थे ?
शुरू में तो कुछ दवाब होता है ही लेकिन जब आपके पास स्क्रिप्ट आ जाती है तब आपको अपने ही हिसाब से अभिनय करना होता है मैं तो वैसे भी सब कुछ भूल जाता हूँ कि पहले किस कलाकार ने इसे अभिनीत किया था मैं थियेटर से हूँ तो मुझे इसकी आदत है और डॉ साहब ने तो पूरे सीरियल में ही चाणक्य का चरित्र अभिनीत किया था जबकि मैंने तो बस एक ही एपिसोड में इसे अभिनीत किया है. मैंने डॉ साहब से बिल्कुल अलग ही तरह से इसे पेश किया है जब आप देखेगें तब आपको पता चलेगा.
· आप किसी भी चरित्र को अभिनीत करने से पहले कैसे उसकी तैयारी करते हैं ?
मुझे ३० साल हो गए मुझे अभिनय करते हुए अब तो इस सबकी आदत हो गयी है. लेकिन आज भी किसी भी चरित्र को अभिनीत करने से पहले मुझे निर्देशक से, लेखक व कास्ट्यूम डिजायनर से बात करनी पड़ती है व उस समय में पहुंचना होता है जिस समय की कहानी निर्देशक दिखाना चाहता है.
· ‘उपनिषद गंगा’ के अलावा क्या कर रहे हैं ?
एक कश्मीरी फिल्म कर रहा हूँ इसके अलावा एक नाटक भी कर रहा हूँ जिसका नाम नमस्ते है.
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