गुरुवार, 21 जून 2012

मैं यहां रिश्ते बनाने नहीं आई हूं - कनिका माहेश्वरी



कनिका माहेश्वरी, इस नाम को कुछ साल पहले लोग न के बराबर जानते थे लेकिन आज यह नाम सबकी जुबान पर है। कनिका से भी ज्यादा लोग मीनाक्षी बींदड़ी को पहचानते हैं। स्टार प्लस पर आने वाले धारावाहिक ‘दीया और बाती हम” में छोटी बींदड़ी मीनाक्षी का रोल कर रही कनिका मूलत: दिल्ली से हैं। कनिका ने अपने ऑन स्क्रीन  और ऑफ स्क्रीन ससुराल के बारे में कई बातें कीं-

‘दीया  और  बाती हम” के मीनाक्षी की भूमिका के लिए हामी भरने की क्या वजह रही?
सच कहूं तो इस भूमिका के बारे में मुझे ज्यादा बताया नहीं गया था। मैं बस यह जानती थी कि शशि  और  सुमीत मित्तल बहुत अच्छे लेखक हैं। मुझे लगा कि जब ये लोग धारावाहिक बना रहे हैं तो कुछ खास तो जरूर होगा। बस इतना पता था कि घर में कोई भी दिक्कत आती है तो उसकी जिम्मेदार मीनाक्षी ही होती है। मैं शूटिंग करती गई आैर लोगों को यह कैरेक्टर पसंद आता गया। 

क्या कभी किसी ने आपसे बीच रास्ते में मीनाक्षी समझकर बात की है?
दिल्ली  और मुंबई में एक अंतर है। दिल्ली में लोग एक्टर्स को देखते ही रुक जाते हैं, जबकि मुंबई में ऐसा कुछ होता नहीं। फिर भी यहां मुंबई में कई लोगों ने मुझे रास्ते में रोक कर ‘वेल डन” कहा है। दिल्ली में तो भीड़ सी हो जाती है। 

‘दीया  और  बाती हम” के सेट पर सबसे ज्यादा किससे बनती है?
सूरज यानी अनस रशिद से मेरी बहुत बनती है। हम पुराने दोस्त हैं। हमारे बीच बात करने के लिए विषय नहीं ढूंढना पड़ता। हम दोनों एक-दूसरे के अच्छे सीन्स की तारीफ भी करते हैं। मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं।  

मीनाक्षी  और कनिका में क्या समानताएं हैं?
मीनाक्षी से कनिका बिल्कुल अलग है। इन दो में कोई समानता नहीं है। मीनाक्षी झूठी  और चीप है, जबकि मैं बबली और एक्स्ट्रोवर्ट हूं। मैं ऑटो वाले से भी बात कर लेती हूं। आप मुझे फैमिली गर्ल कह सकते हैं। 

इतने सालों से टीवी इंडस्ट्री में रहते हुए भी आपका नाम कभी भी किसी के साथ नहीं जुड़ा, कैसे मैनेज किया आपने यह सब?
देखिए, एक सीधी बात मैंने अपने दिमाग में शुरुआत से ही बिठा ली थी। उस पर आज भी कायम हूं, वह ये कि मुझे अपने काम को हमेशा गंभीरता से लेना है। मैं यहां रिश्ते बनाने नहीं आई हूं। न भाई बनाती हूं  और  न बहन। मेरे अपने भाई-बहन बहुत हैं। मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो किसी के साथ घूमते पकड़े जाने पर फट से कह देते हैं कि वह मेरा भाई है। मैंने हमेशा अपने काम  और निजी जीवन के बीच रेखा खींची है। 

एक्टिंग में इंट्री के समय माता-पिता की कैसी प्रतिक्रिया थी?
पापा तो नहीं चाहते थे कि मैं मुंबई आऊं, वह मेरे इस फैसले से खुश नहीं थे। मैं अकेली बेटी हूं उनकी। लेकिन मां ने पूरा सपोर्ट किया। बस उन्हें यही चिंता थी कि मैं मुंबई में अकेले कैसे रहूंगी। 

जब आपको पहली बार स्क्रीन पर देखा तो क्या प्रतिक्रिया रही, खासकर आपके पापा की?
जाहिर सी बात है कि दोनों बहुत खुश हुए। हां, उन्होंने यह जरूर कहा कि मुझमें  और सुधार की जरूरत है। लेकिन अब साढ़े आठ साल की एक्टिंग के बाद दोनों बहुत खुश हैं।

आपकी नई शादी हुई है। काम के चक्कर में हनीमून पर भी नहीं गईं। पति  और ससुराल वालों ने कुछ कहा नहीं?
मेरे पति अंकुर घई मेरा बहुत साथ देते हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे सूरज संध्या का साथ देता है। शादी के बाद मुंबई में मेरे काम करने को लेकर मेरे पति ने ही सबको मनाया। हर महीने के 10-12 दिन मैं दिल्ली में रहती हूं। 

ससुराल में किस तरह आपने सबको प्रभावित किया?
मुझे खाना बनाना बहुत पसंद है। मेरे ससुराल में शादी के 41 दिन के बाद मीठा बनाना होता है। मैंने सूजी का हलवा बनाया, जो सबको बहुत पसंद आया। इसके अलावा, मैं पास्ता, पनीर की सब्जी जैसी कई चीजें बनाती हूं। मेरे हाथ की बनी शाही पनीर मेरे पति को बहुत पसंद है। मेरी सासू मां मेरे हाथ की बनी शाम की चाय पीना पसंद करती हैं। 

‘दीया  और बाती हम” के अलावा  और कुछ करने का इरादा नहीं है?
ऑफर तो आते ही रहते हैं लेकिन फिलहाल तो इससे ही फुर्सत नहीं है। शादी के बाद मुझे अपने पति के साथ समय बिताने का मौका ही नहीं मिला। अब मेरी इच्छा उनके साथ अधिक से अधिक समय बिताने की है। 

थिएटर करने के बारे में आपने कभी सोचा नहीं?
मैं एक इंग्लिश प्ले कर रही थी। उसके लिए रिहर्सल भी किया। फिर बाद में मेरी तारीखें ही मैच नहीं हो पा रही थीं, इसलिए मुझे छोड़ना पड़ा। 

फिल्में करने की ख्वाहिश है?
फिल्में तो सभी करना चाहते हैं। कुछ ऑफर्स भी आए हैं मेरे पास लेकिन मैं क्वांटिटी की जगह क्वालिटी पर ध्यान देना चाहती हूं। मुझे लगता है कि जल्दी ही आपलोगों को पता चलेगा कि कनिका फिल्म करने वाली है। यह भारतीय नहीं बल्कि बाहर की फिल्म है। 

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