शुक्रवार, 16 मार्च 2012
छोटे शहर की सुवरीन गुग्गल
भारत और पाकिस्तान में कैलाश खेर
गायक कैलाश खेर अपने एलबम ‘रंगीले’ के प्रचार व प्रसार के सिलसिले में पूरे भारत के दौरे में व्यस्त हैं लेकिन ऐसी व्यस्तता में से कुछ वक्त निकाल कर वो १८ मार्च यानि रविवार को ढाका में भारत व पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मैच में अपने गीतों को गायेगें. कैलाश जी ने ‘अल्लाह के बंदे’ के हिट होने से भी पहले सन २००३ में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप में ‘छूना है आसमान’ जिंगल को गाया था.
कैलाश खेर से क्रिकेट के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि, “क्रिकेट के बारे में मुझे बहुत ज्यादा नही मालूम लेकिन जब भी कभी मुझे समय मिलता है मैं क्रिकेट देखता हूँ. क्रिकेट स्कोर के बारे में अपडेट रखता हूँ. मैंने सन २००३ में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप में ‘छूना है आसमान’ जिंगल को गाया था और अब फिर से ९ साल बाद इन दोनों टीमों के लिए गा रहा हूँ.’’
कैलाश जी से पूछने पर आप कौन सी टीम को अपनी शुभ कामनाएं देगें ? उन्होंने कहा कि ‘निस्संदेह अपनी भारतीय टीम को और किस टीम को. लेकिन मैं आपको बता दूं कि पाकिस्तान टीम में भी बहुत सारे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ और जो मेरे गीतों को सुनते हैं.”
गुरुवार, 15 मार्च 2012
आभास का फटा कुर्ता
स्टार परिवार अवार्ड्स 2012 में भागीदारी कर पहली बार इसका हिस्सा बन रहे इस प्यार को क्या नाम दूं के आभास उर्फ श्याम को एक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि आभास शो में नकारात्मक किरदार निभाते हैं लेकिन असली ज़िंदगी में वह बहुत मस्तीपसंद इंसान हैं। यह अभिनेता पूरी टीम के साथ पुरस्कार समारोह में आने को लेकर बहुत उत्साहित था और यह प्रतिभाशाली अभिनेता जब भी मंच पर गया, अपने टीम के सदस्यों को हंसाने की कोशिश की लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं लगा कि उन्होंने अपना कुर्ता फाड़ लिया है। इस समस्या का पता उन्हें तब चला जब उन्होंने खुद को टीवी स्क्रीन पर अपने प्रदर्शन के दौरान कुशी के लिये कूदते और हंसते देखा। जहां समारोह में मौजूद हर व्यक्ति हंस रहा था, वहीं आभास ने पता चल जाने के बावजूद और ज्यादा ऊर्जा से अपना कार्यक्रम जारी रखा।
इंटरनेशनल भाभो !
बुधवार, 14 मार्च 2012
मिका ने उठाया कई रहस्यों पर से पर्दा
नारायणी शास्त्री का अनदेखा अवतार
जावेद अख़्तर ने कॉपीराइट कानून के मसले पर बोला
ताऊ की खरी खरी
“कौन कहां और के बोल्या, सब नेता नगरी हरी भरी,
नही किसी से डरता ताऊ सुन लो इसकी खरी खरी ”
यह कहना है ताऊ का, जो कि आम आदमी की समस्याओं को उठाते हैं अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘ताऊ की खरी खरी’ में. सहारा समय पर रविवार दोपहर 1 बजे और शाम 6 बजे दिखाया जाने वाले इस कार्यक्रम में ताऊ हिन्दी और हरियाणवी भाषा में अपने दर्शकों से रूबरू होते हैं. विषय कुछ भी हो, समस्या कैसी भी हो, आम आदमी से जुड़े सरोकारों को लेकर ताऊ देश के नेताओं और समस्या के लिए जिम्मेदार लोगों की अपने चुटीले अंदाज़ में क्लास लेते हैं. बहुत ही कम समय में यह कार्यक्रम दर्शकों में इसलिए लोकप्रिय हुआ है क्योंकि इसका प्रस्तुतिकरण बहुत ही अनोखा है.
किसी भी अन्य कार्यक्रम की तरह ताऊ इसमें कुर्सी पर नही बल्कि खाट पर बैठते हैं सभी प्रसिद्ध लोग ताऊ के साथ उनकी खाट पर ही बैठतें हैं और देश के हालात पर अपने विचार रखते हैं. ताऊ के साथ उनकी खाट पर कैलाश खेर, मास्टर सलीम, तिग्मांशू धूलिया और इरफान खान जैसे प्रसिद्ध लोग अब तक बैठ चुके हैं. ताऊ सभी मेहमानों को देश - समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करते हैं और ये मेहमान अपने माध्यम से लोगों को जागरूक करते हैं. ताऊ केवल राजनीतिक चर्चा ही नही करते बल्कि अच्छे सिनेमा, नाटक के बारे में भी चर्चा करते हैं.
इस कार्यक्रम में जहां ताऊ लोगों की समस्याओं को उठाते है वहीं आम आदमी की आवाज़ भी बनते हैं. आम आदमी को उसके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करते हैं साथ ही आम आदमी को भी इस कार्यक्रम में अपनी बात कहने का मंच दिया जाता है. उसकी राय रिपोर्टरों के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल की जाती है.
समय चैनल के अलावा ये कार्यक्रम रविवार रात 9.30 बजे सहारा उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड, सहारा बिहार –झारखंड रविवार रात 10.30 पर भी दिखाया जाता है. इस कार्यक्रम का निर्माण सहारा की क्रिएटिव टीम करती है. जिसमें अनु रिज़वी, अनुराग दीक्षित, विजय कुमार के साथ ताऊ ( अतुल गंगवार ) हैं
मंगलवार, 13 मार्च 2012
गुरमीत और कृतिका का रोमांटिक मड बाथ
जय सोनी पर समलैंगिक की नज़ऱ
छोटे परदे पर फिर के के रैना
अभिनेता के के रैना ने करीब २२ साल पहले दूरदर्शन पर लोकप्रिय जासूसी सीरीज व्योमकेश बक्षी में अभिनय किया था अब एक बार फिर से के के रैना ११ मार्च से हर रविवार सुबह १० बजे से प्रसारित हो रहे चिन्मय मिशन के धारावाहिक ‘उपनिषद गंगा’ में दिखाई दे रहे हैं .चाणक्य फेम डॉ चंद्रप्रकाश दिव्वेदी द्वारा निर्देशित इस सीरियल में के के रैना ने चाणक्य, हरिदास, नारद व याज्ञवल्क्य के चरित्रों को निभाया है. टी वी धारावाहिकों के साथ-साथ रैना ने फिल्मों में भी अभिनय किया है जैसे तनु वेड्स मनु, रंग दे बसंती, दिल्ली -६, हाइजैक, फूंक, लक्ष्य, सलाम ए ईश्क और गाँधी. के के रैना अभिनय के साथ संवाद लेखन भी करते हैं.
· आपने कौन - कौन सी भूमिकाएं अभिनीत की है धारावाहिक “उपनिषद गंगा” में और कितना मुश्किल रहा इन्हें अभिनीत करना?
मैंने हरिदास, नारद, याज्ञवल्क्य और चाणक्य के चरित्रों को अभिनीत किया है मुश्किल तो नही रहा करना लेकिन मज़ा बहुत आया इन सभी चरित्रों को अभिनीत करने में. ‘चाणक्य’ को करना चुनौतीपूर्णजरुर रहा क्योंकि चाणक्य को पहले डॉ साहब ने खुद किया था. इसके अलावा एक उत्तर भारतीय संत के चरित्र को अभिनित करना भी बहुत ही यादगार रहा, जो कि दक्षिण में जाता है लेकिन उसे वहाँ की भाषा नही आती उसे बस एक शब्द ‘पर्विल्ला’ आता है जब कोई उससे कुछ भी पूछता है उसका जवाब होता है ‘पर्विल्ला’ मतलब सब ठीक है. इस चरित्र को मैंने शारीरिक हाव भाव के माध्यम से अभिनीत किया है.
· जब आपने टी वी पर काम करना छोड़ ही दिया था तब क्या वजह रही चिन्मय मिशन के ‘उपनिषद गंगा’ में काम करने की ?
मैंने टी वी पर आखिरी काम किया था ‘व्योमकेश बक्षी’ में. मुझे डॉ साहब ने बुलाया और कहा कि मैं ‘उपनिषद गंगा’ करना चाहता हूँ और चाहता हूँ कि आप भी इसमें काम करें मैंने कहा कि मैं तो टी वी अब करता नही उन्होंने मुझे ४ स्किप्ट दी और कहा कि पढ़ो अच्छा लगे तो करना. मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी मुझे बहुत ही अच्छी लगी, जिस तरह से डॉ साहब थियेटर और सिनेमा दोनों को एक साथ लेकर काम करना चाहते थे वो बहुत ही काबिलेतारीफ था. इसके अलावा मैंने सोचा कि इसमें काम करके मैं भी कुछ जान व समझ सकता हूँ कि क्या हमारे ऋषि मुनियों ने इसमें कहा है. हम सब कहते हैं कि वेदों में उपनिषदों में यह कहा गया वो कहा गया है जबकि हममें से अधिकतर को नही पता कि सच में क्या कहा गया है.
क्या युवाओं को पसंद आयेगा ‘उपनिषद गंगा’ ?
हाँ जरुर क्योंकि उपनिषद में भी वो ही सब लिखा गया है जो कि आज के समाज की समस्या है जैसे शिक्षा का अधिकार सभी को है ऐसे ही पुराने समय में णक्य ने भी यही कहा कि शिक्षा सभी के लिए जरुरी है. जबकि लोग कहते हैं कि ब्राह्मणों ने शिक्षा को केवल अपने तक ही सीमित रखा था. किसी भी दूसरी जाति को शिक्षा हासिल नही करने देते थे. इसके अलावा अपने अतीत को भी हम ‘उपनिषद गंगा’ के माध्यम से जान सकते हैं. किसी लेखक ने भी कहा है कि “जब तक हम अपने अतीत को नही जानते तो जिंदगी भर आप एक बच्चा ही बने रहते हैं”. युवाओं को पता चलेगा कि आखिर उपनिषद में ऐसा क्या है जिसके बारे में हम सभी बातें करते है.
· आपने ‘चाणक्य’ के चरित्र को अभिनीत किया है तो क्या किसी तरह का कोई दवाब रहा आप पर क्योंकि डॉ साहब ने भी इसे अभिनीत किया था और वही इसे निर्देशित कर रहे थे ?
शुरू में तो कुछ दवाब होता है ही लेकिन जब आपके पास स्क्रिप्ट आ जाती है तब आपको अपने ही हिसाब से अभिनय करना होता है मैं तो वैसे भी सब कुछ भूल जाता हूँ कि पहले किस कलाकार ने इसे अभिनीत किया था मैं थियेटर से हूँ तो मुझे इसकी आदत है और डॉ साहब ने तो पूरे सीरियल में ही चाणक्य का चरित्र अभिनीत किया था जबकि मैंने तो बस एक ही एपिसोड में इसे अभिनीत किया है. मैंने डॉ साहब से बिल्कुल अलग ही तरह से इसे पेश किया है जब आप देखेगें तब आपको पता चलेगा.
· आप किसी भी चरित्र को अभिनीत करने से पहले कैसे उसकी तैयारी करते हैं ?
मुझे ३० साल हो गए मुझे अभिनय करते हुए अब तो इस सबकी आदत हो गयी है. लेकिन आज भी किसी भी चरित्र को अभिनीत करने से पहले मुझे निर्देशक से, लेखक व कास्ट्यूम डिजायनर से बात करनी पड़ती है व उस समय में पहुंचना होता है जिस समय की कहानी निर्देशक दिखाना चाहता है.
· ‘उपनिषद गंगा’ के अलावा क्या कर रहे हैं ?
एक कश्मीरी फिल्म कर रहा हूँ इसके अलावा एक नाटक भी कर रहा हूँ जिसका नाम नमस्ते है.
ट्विटर ने पायल को मुसीबत में डाला !!!
शाहरुख खान की दीवानी नेहा कक्कड
लोग कहते हैं कि अभिनेता शाहरुख खान अब बूड़े हो गए हैं जबकि ऐसा नही है वो आज भी जवां लड़कियों के दिलों की धडकन हैं और यह बात साबित कर दी है गायिका नेहा कक्कड़ ने अपने गीत ‘शाहरुख खान’ को गाकर, टोनी कक्कड़ द्वारा लिखित व संगीतबद्ध किये गए इस गीत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चार ही दिन में यू ट्यूब में इसे १ लाख ६० हज़ार दर्शकों ने देखा.
नेहा की बहुत ही सेक्सी आवाज में गाये इस गीत को सुनकर शाहरुख खान भी शरमा गये और उन्होंने ट्वीट भी किया कि “नेहा की आवाज बहुत ही प्यारी है और उसने बहुत ही मीठी आवाज में गीत को गाया है”. शाहरुख खान के प्रशंसकों ने तो इस गीत को “शाहरुख खान ऐन्थेम” का नाम भी दे दिया है. यह गाना इतना लोकप्रिय हो गया है कि श्रोता इसे अलग -- अलग भाषाओ में भी सुनना चाहते हैं. तो हो सकता है कि जल्दी ही नेहा कक्कड़ की मधुर आवाज में उन्हें अलग - अलग भाषाओ में यह गीत सुनने को मिलें.